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Gajendra Pratap Singh - Mere Mahakaal Aaye He Lyrics



Gajendra Pratap Singh - Mere Mahakaal Aaye He Lyrics
Official




आये है
सजा दो उज्जैनी दरबार
मेरे महाकाल आये है
मेरे महाकाल आये है
मेरे महाकाल आये है

मेरे महाकाल आये है
मेरे महाकाल आये है

मेरे महाकाल आये है
लगे क्षिप्रा भी गंगा सी
लगे क्षिप्रा भी गंगा सी
मेरे महाकाल आये है
सजा दों उज्जैनी दरबार
मेरे महाकाल आये है

पखारों इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
पखारों इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
पखारों इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
पखारों इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
बहाकर प्रेम की गंगा
पिला दो विष को अमृत सा
पिला दो विष को अमृत सा
मेरे महाकाल आये है
सजा दों उज्जैनी दरबार
मेरे महाकाल आये है

सरकार आ गए है मेरे गरीब खाने में
सरकार आ गए है मेरे गरीब खाने में
आया है दिल को सुकूँ उनके करीब आने में
आया है दिल को सुकूँ उनके करीब आने में
मुद्द्त से प्यासी अँखियों को मिला आज वो सागर
मुद्द्त से प्यासी अँखियों को मिला आज वो सागर
भटका था जिसको पाने के खातिर इस ज़माने में
भटका था जिसको पाने के खातिर इस ज़माने में

तुम आकर फिर नहीं जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
तुम आकर फिर नहीं जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
तुम आकर फिर नहीं जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
तुम आकर फिर नहीं जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
मेरी इस सुनी दुनिया से
रमा दो भस्म भूतों सी
रमा दो भस्म भूतों सी
मेरे महाकाल आये है
सजा दों उज्जैनी दरबार
मेरे महाकाल आये है
मेरे महाकाल आये है
मेरे
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Romanized

आये है
सजा दो उज्जैनी दरबार
मेरे महाकाल आये है
मेरे महाकाल आये है
मेरे महाकाल आये है

मेरे महाकाल आये है
मेरे महाकाल आये है

मेरे महाकाल आये है
लगे क्षिप्रा भी गंगा सी
लगे क्षिप्रा भी गंगा सी
मेरे महाकाल आये है
सजा दों उज्जैनी दरबार
मेरे महाकाल आये है

पखारों इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
पखारों इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
पखारों इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
पखारों इनके चरणों को
बहाकर प्रेम की गंगा
बहाकर प्रेम की गंगा
पिला दो विष को अमृत सा
पिला दो विष को अमृत सा
मेरे महाकाल आये है
सजा दों उज्जैनी दरबार
मेरे महाकाल आये है

सरकार आ गए है मेरे गरीब खाने में
सरकार आ गए है मेरे गरीब खाने में
आया है दिल को सुकूँ उनके करीब आने में
आया है दिल को सुकूँ उनके करीब आने में
मुद्द्त से प्यासी अँखियों को मिला आज वो सागर
मुद्द्त से प्यासी अँखियों को मिला आज वो सागर
भटका था जिसको पाने के खातिर इस ज़माने में
भटका था जिसको पाने के खातिर इस ज़माने में

तुम आकर फिर नहीं जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
तुम आकर फिर नहीं जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
तुम आकर फिर नहीं जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
तुम आकर फिर नहीं जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से
मेरी इस सुनी दुनिया से
रमा दो भस्म भूतों सी
रमा दो भस्म भूतों सी
मेरे महाकाल आये है
सजा दों उज्जैनी दरबार
मेरे महाकाल आये है
मेरे महाकाल आये है
मेरे
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Writer: Traditional
Copyright: Lyrics © Phonographic Digital Limited (PDL)




Performed By: Gajendra Pratap Singh (गजेंद्र प्रताप सिंघ)
Language: Hindi
Length: 4:44
Written by: Traditional
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